टाटा को करनी पड़ेगी काफी मशक्कत
टाटा सन्स ने एयर इंडिया की खरीद के लिए बोली 18,000 करोड़ रुपये में जीती है। लेकिन यह कर्ज में डूबी ओर खस्ताहाल हो चुकी एयर इंडिया पर टाटा के खर्च की शुरुआत है। एयर इंडिया को एविएशन में बनाए रखने के लिए और अधिक संसाधन आवंटित करने होंगे। हो सकता है कि कंपनी को डिजिटल, हाई-टेक मैन्युफैक्चरिंग और स्वास्थ्य सेवा क्षेत्रों में महत्वाकांक्षी कदम उठाने पड़ें। रतन टाटा भी कह चुके हैं कि एयर इंडिया को फिर से खड़ा करने के लिए बहुत मेहनत लगेगी।
- टाटा सन्स के लिए खर्चा कोई समस्या नहीं
हालांकि, टाटा सन्स के लिए धन की कोई समस्या नहीं होगी क्योंकि यह मौजूदा स्टील अपसाइकिल, टीसीएस के निरंतर अच्छे प्रदर्शन और अपनी ऑपरेटिंग कंपनियों के प्रभावशाली बाजार पूंजीकरण का आनंद ले रही है। टाटा सन्स के निवेश का बाजार मूल्य 12 लाख करोड़ रुपये से अधिक है, जबकि कंपनी पर 25,396 करोड़ रुपये का कर्ज है। यानी टाटा सन्स आरामदायक स्थिति में है। यह इसे अपने निवेश का मॉनेटाइजेशन करके पूंजी जुटाने की भी अनुमति देता है।
मौजूदा हवाई परिचालनों से 9,000 करोड़ का नुकसान
टाटा सन्स के मौजूदा एयरलाइन स्टार्टअप में एयरएशिया इंडिया और विस्तारा शामिल हैं। इन दोनों में परिचालन शुरू होने के बाद से टाटा ने 6,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया है। कंपनी को अब तक 9,000 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है। टाटा सन्स एयर इंडिया पर भी मोटा पैसा खर्च करना पड़ेगा। वहीं कर्ज भी चुकाना है। 31 अगस्त 2021 तक एयर इंडिया पर 61,562 करोड़ रुपये का कर्ज था। विनिंग बिडर टाटा सन्स 15,300 करोड़ रुपये का कर्ज वहन करेगी। इसके बाद एयर इंडिया पर 46,262 करोड़ रुपये का कर्ज बचेगा।