जशपुर जिले के कांसाबेल, बालाछापर और गुटरी गांव में 60 एकड़ रकबे में चाय के बागान तैयार
श्री बघेल ने जशपुर जिले में चाय की खेती से ग्रामीणों को मिल रहे लाभ का जिक्र करते हुए कहा कि असम की तरह अब जशपुर में भी चाय के बगान दिखने लगे हैं। इसके पीछे स्थानीय समुदाय की ताकत है। जशपुर जिले के चाय के बागान लोगों की आय का बड़ा जरिया बनेंगे। जशपुर विकासखण्ड के सारूडीह गांव मंे चाय की खेती हो रही है। लोकवाणी में जशपुर निवासी श्री अशोक तिर्की ने मुख्यमंत्री से जानना चाहा कि जशपुर में चाय की खेती सफल हो सकती है। मुख्यमंत्री ने इस संबंध में कहा कि संयुक्त वन प्रबंधन समिति सारूडीह के अंतर्गत स्व-सहायता समूह के अनुसूचित जनजाति के 16 परिवारों के सदस्यों से मिला जा सकता है, जिन्होंने जिला प्रशासन के मार्गदर्शन और अपनी मेहनत से 20 एकड़ क्षेत्र को चाय के बागान में बदल दिया है। यहां 20 एकड़ कृषि भूमि पर चाय का रोपण किया गया है। चाय रोपण के प्रबंधन एवं प्रसंस्करण में 2 महिला स्व-सहायता समूह जुड़े हैं। अब तो चाय रोपण से व्यापारिक स्तर पर ग्रीन टी एवं सी.टी.सी.टी का निर्माण किया जा रहा है। यहां निर्मित चाय की गुणवत्ता की जांच भी व्यावसायिक संस्थाओं से कराई गई है, जिसमें दोनों प्रकार की चाय को उत्तम गुणवत्ता का होना पाया गया है। इस चाय बागान में जैविक खेती को ही आधार बनाया गया है। इसके लिए हितग्राही परिवारों को उन्नत नस्ल का पशुधन भी उपलब्ध कराया गया है, जिससे उनको अतिरिक्त लाभ हो रहा है। इसी तरह मनोरा ब्लॉक में कांसाबेल, जशपुर ब्लॉक में बालाछापर और गुटरी में भी 60 एकड़ रकबे में चाय के बागान तैयार हो गए हैं।