धार्मिक

शारदा मां की कथा
  • September 05, 2021
200 वर्ष पहले मैहर में महाराज दुर्जन सिंह जूदेव राज्य करते थे। उन्हीं के राज्य का एक ग्वाला गाय चराने के लिए जंगल में आया करता था। इस घनघोर भयावह जंगल में दिन में भी रात जैसा अंधेरा छाया रहता था। एक दिन उसने देखा कि उन्हीं गायों के साथ एक सुनहरी गाय चल रही है। शाम होते ही वह अचानक लुप्त हो गई। दूसरे दिन जब वह इस पहाड़ी पर गायें लेकर आया तो फिर वही गाय इन गायों के साथ मिलकर घास चर रही थी। तब उसने निश्चय किया कि शाम को जब यह गाय वापस जाएगी, उसके पीछे-पीछे जाऊंगा। गाय का पीछा कर रहे ग्वाले ने देखा कि वह ऊपर पहाड़ी की चोंटी में स्थित एक गुफा में चली गई और उसके अंदर जाते ही गुफा का द्वार बंद हो गया। ग्वाला बेचारा गाय के इंतजार में गुफा के द्वार पर बैठ गया। उसे पता नहीं कि कितनी देर के बाद गुफा का द्वार खुला और एक बूढ़ी मां के दर्शन हुए। तब ग्वाले ने उस बूढ़ी माता से कहा कि माई मैं आपकी गाय को चराता हूं, इसलिए मुझे पेट के वास्ते कुछ मिल जाए। बूढ़ी माता अंदर गई और लकड़ी के सूप में जौ के दाने उस ग्वाले को दिए ग्वाले ने घर में जब उस जौ के दाने वाली गठरी खोली तो हीरे-मोती चमक रहे थे। इसके बाद ग्वाले ने आपबीती महाराजा को सुनाई। राजा ने दूसरे दिन वहां जाने का ऐलान किया। रात में राजा को स्वप्न में ग्वाले द्वारा बताई बूढ़ी माता के दर्शन हुए और आभास हुआ कि आदि शक्ति मां शारदा है।
एक कहानी और है।
 माना जाता है कि दक्ष प्रजापति की पुत्री सती शिव से विवाह करना चाहती थीं। उनकी यह इच्छा राजा दक्ष को मंजूर नहीं थी। फिर भी सती ने अपनी जिद पर भगवान शिव से विवाह कर लिया। एक बार राजा दक्ष ने यज्ञ करवाया। उस यज्ञ में बह्मा, विष्णु, इंद्र और अन्य देवी-देवताओं को आमंत्रित किया, लेकिन जमाता भगवान शंकर को नहीं बुलाया। यज्ञ-स्थल पर सती ने अपने पिता दक्ष से शंकरजी को आमंत्रित न करने का कारण पूछा। इस पर दक्ष प्रजापति ने भगवान शंकर को अपशब्द कहे। अपमान से दुखी होकर सती ने यज्ञ-अग्नि कुंड में कूदकर अपनी प्राणाहुति दे दी। भगवान शंकर को जब इस दुर्घटना का पता चला, तो क्रोध से उनका तीसरा नेत्र खुल गया। ब्रह्मांड की भलाई के लिए भगवान विष्णु ने सती के शरीर को 52 भागों में विभाजित कर दिया। जहां भी सती के अंग गिरे, वहां शक्तिपीठों का निर्माण हुआ। अगले जन्म में सती ने हिमवान राजा के घर पार्वती के रूप में जन्म लिया और घोर तपस्या कर शिवजी को फिर से पति रूप में प्राप्त किया। माना जाता है कि यहां मां का हार गिरा था। इसलिए भक्तों की आस्था दिन प्रतिदिन बड़ रही है।

Contact No.

+91-9770185214

Email

cleanarticle@gmail.com

Location

Prem Nagar Indra Bhata, H.no-509, Vidhan Sabha Road, Near Mowa Over Bridge, Raipur, Chattisgarh - 492007