ऐसा शहर जहां सबसे ज्यादा तालाब
रतनपुर को तालाबों का शहर कहा जाता है, तालाबों और खुंटाघाट डेम की वजह से हर साल प्रवासी पक्षियों का आना-जाना लगा रहता है। कुछ प्रवासी पक्षी मानसून की दस्तक के साथ आते हैं, तो कुछ ठंड के मौसम में।
प्रवासी पक्षियों के संरक्षण के लिए रतनपुर में पक्षी अभ्यारण की मांग गई है। यहां के प्राकृतिक सौंदर्य व तालाब हजारों किलोमीटर दूर रहने वाले पक्षियों को भी खुब भाता है। प्रवासी पक्षियों का साल भर आना-जाना लगा रहता है। मानसून के दस्तक के साथ ही पाकिस्तान, बंगलादेश, श्रीलंका व केरल से जाघिल, दांख (कंकारी) पक्षियों का समूह खुंटाघाट के टापू पर आकर बसेरा बनाते हैं। हजारों की संख्या में आए इन पक्षियों को अटखेलियां करते देखने दूर-दूर से पर्यटक आतें हैं। रतनपुर गज किला के पास स्थित खईया तालाब में पनकौआ (ग्रेट कारमोरेट) हजारों की संख्या में डेरा जमाए हैं, जो लोगों के आकर्षण का केन्द्र बने हैं। खुंटाघाट डेम में आने वाले प्रवासी पक्षी गिद्ध के आकार की पक्षी है। इनकी गर्दन, टांग व चोंच लंबी होती है। इनके पंख सफेद होते हैं, इन पर ऊपर की तरफ काले रंग के निशान होते हैं, छाती पर काले रंग की पेटी सी बनी होती है।
पर्यटन नगरी रतनपुर व इसके आसपास का इलाका वनाच्छादित है। जो प्रवासी पक्षियों के लिए अनुकूल है। शहर के चारों ओर तालाब व जंगल होने से वर्ष भर हरियाली रहती है। इसके कारण यहां पर्यटक तो आते ही है, साथ ही प्रवासी पक्षी भी साल भर आते हैं,
सूरज निकलते ही उड़ जाते है, शाम को लौट आते हैं
आसपास के तालाबों में विचरण करते हैं, शाम को लौट आते हैं। इसके बाद रात भर यहीं रहते हैं और सुबह फिर उड़ जाते हैं।